Biology GK (General Knowledge) MCQ Questions with Answers (Quiz 02): अगर आप किसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो जनरल नॉलेज को अच्छी करना ( या अच्छी तरह से याद रखना ) बेहद जरूरी है । तो चलिए जानते हैं कौन-से सवाल जो आएंगे आपके काम –
सभी प्रश्नों के उत्तर याद करना सभी के लिए लगभग असंभव है, आज हम आपको बता रहे हैं उन सभी खास प्रश्नों को उनके उत्तर के साथ जो प्रतियोगी परिक्षाओं से लेकर जॉब इंटरव्यू में ज्यादातर पूछे जाते हैं । अगर आपको इन प्रश्नों के उत्तर पता हैं तो आपकी मुश्किलें हल हो जाएंगी ।
1. रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कौन नियंत्रित करता है?
(A) सोमेटोस्टैटिन के कारण
(B) ग्लूकागन के कारण
(C) गैस्ट्रिक के कारण
(D) इंसुलिन के कारण
(D) इंसुलिन के कारण
इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त में ग्लूकोज (शर्करा या शुगर) की मात्रा को नियंत्रित करता है।
इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन है जिसका निर्माण अग्नाशय में होता है। हमारा आमाशय कार्बोहाइड्रेट्स को रक्त शर्करा में परिवर्तित करता है। इंसुलिन के माध्यम से यह रक्त शर्करा ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। यदि पैनक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर दे तो ब्लड ग्लूकोज ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होगी। ऊर्जा की कमी के कारण व्यक्ति जल्दी थक जाएगा, इसलिए ऊर्जावान रहने के लिए इंसुलिन का निर्माण होना जरूरी है।
दो तरह के हार्मोन होते हैं, इंसुलिन तथा ग्लूकागन। ये दोनों एक दूसरे के ठीक विपरित काम करते हैं। इंसुलिन बढ़े हुए glucose को कम करता है, जबकि glucagon घटे हुए glucose के अस्तर को बढ़ाता है।
2. भारत में सामान्य ब्लड शुगर का स्तर क्या है?
(A) 140 मिलीग्राम / डीएल (mg/dL) से नीचे
(B) 200 मिलीग्राम / डीएल (mg/dL) से ऊपर
(C) 140 से 199 मिलीग्राम / डीएल (mg/dL) के बीच
(D) ऊपरोक्त अनुसार सभी
(D) ऊपरोक्त अनुसार सभी
140 मिलीग्राम / डीएल (mg/dL) से नीचे ब्लड शुगर का स्तर सामान्य माना जाता है।
2 घंटे के बाद 200 मिलीग्राम / डीएल (mg/dL) से ऊपर का स्तर एक संकेत है कि आपको डायबिटीज हैं।
140 से 199 मिलीग्राम / डीएल (mg/dL) की सीमा में रीडिंग प्रीडायबिटीज (prediabetes) की स्थिति को दर्शाती है।
3. जैव प्रक्रम के अंतर्गत कौन आता है?
(A) पोषण
(B) उत्सर्जन
(C) श्वसन
(D) सभी
(D) सभी
किसी भी सजीव में जीवन को जारी रखने के लिये जिन प्रक्रियाओं की अहम जरूरत होती है उन्हें जैव प्रक्रम या लाइफ प्रॉसेस कहते हैं। पोषण, श्वसन, पदार्थों के परिवहन और उत्सर्जन को जैव प्रक्रम की श्रेणी में रखा गया है। प्रजनन को जैव प्रक्रिया की श्रेणी में नहीं रखा जाता है क्योंकि यह किसी भी जीव में जीवन को जारी रखने के लिये आवश्यक नहीं होता है।
4. गोबरछता किसके अंतर्गत आता है?
(A) परजीवी
(B) स्वपोषी
(C) मृतजीवी
(D) परासरणी
(C) मृतजीवी
गोबरछता मृतजीवी अंतर्गत आता है। मृतजीवी ऐसे जीव या पौधे होते है जो क्षयमान एवं मृत जैविक पदार्थो एवं वनस्पतियो से अपना भरण-पोषण करते है। मृतजीवी को पूर्तिजिवी भी कहा जाता है। मृतजीवी पौधे जैसे कवक और बैक्टीरिया आदि, नमी वाले एवं गर्म स्थानों पर ज्यादा उगते है। इन्हें विकसित होने के लिए पर्याप्त साधनों या वातावरण की आवश्यकता नहीं होती।
5. वायुमंडल में CO2 की मात्रा कितनी है?
(A) 78 %
(B) 21 %
(C) 4 %
(D) 0.03 %
(D) 0.03 %
कार्बन डाइआक्साइड का निर्माण आक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। सामान्य तापमान तथा दबाव पर यह गैसीय अवस्था में रहती है। वायुमंडल में यह गैस 0.03% से 0.04% तक पाई जाती है, परन्तु मौसम में परिवर्तन के साथ वायु में इसकी सान्द्रता भी थोड़ी परिवर्तित होती रहती है।
शुद्ध और शुष्क वायु में नाइट्रोजन 78 प्रतिशत, ऑक्सीजन, 21 प्रतिशत, आर्गन 0.93 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड 0.03 प्रतिशत तथा हाइड्रोजन, हीलियम, ओज़ोन, निऑन, जेनान, आदि अल्प मात्रा में उपस्थित रहती हैं। नम वायुमण्डल में जल वाष्प की मात्रा 5 प्रतिशत तक होती है।
6. छाया में पनपने वाले पौधे को क्या कहते हैं?
(A) लिथोफाइट्स
(B) हैलोफाइट्स
(C) साइकोफाइट्स
(D) इनमें से कोई नहीं
(C) साइकोफाइट्स
छाया में खिलने वाले पौधों को साइकोफाइट्स (Sciophytes) कहा जाता है। इन पौधों को विकसित होने के लिए बहुत अधिक धूप और प्रकाश की जरूरत नहीं होती है। इसके बावजूद छाये में यह पौधे अच्छी वृद्धि करते हैं।
हैलोफाइट्स (लवणमृदोद्भिद) ऐसे पौधे होते हैं जो खारे पानी में उगते हैं।
लिथोफाइट्स पौधे जो पत्थरों और चट्टानों पर या उनकी दरारों में उगते हैं और जो पौधे अम्लीय मिट्टी में उगते हैं, उन्हें ऑक्सीलोफाइट्स कहा जाता है।
एरेमोफाइट्स वे पौधे हैं जो रेगिस्तान और स्टेप्स में उगते हैं।
7. मनुष्य में प्रमुख श्वसन अंग कौन-सा होता है?
(A) फेफड़ा
(B) नाक
(C) ट्रैकिया
(D) क्लोम
(A) फेफड़ा
सही उत्तर फेफड़े है। श्वसन तंत्र अंगों और ऊतकों का एक नेटवर्क है जो हमारे शरीर को हवा से ऑक्सीजन को अवशोषित करने में मदद करता है ताकि हमारे अंग काम कर सकें। यह हमारे रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड जैसी अपशिष्ट गैसों को भी साफ करता है।
फेफड़े श्वसन प्रणाली के मुख्य अंग हैं क्योंकि यह हमारे रक्त से ऑक्सीजन / कार्बन डाइऑक्साइड के आदान-प्रदान का मुख्य कार्य करता है।
8. निम्न में से कौन-सी बीमारी श्वसन तंत्र से संबंधित है?
(A) डायरिया
(B) टी बी
(C) निमोनिया
(D) (B) और (C) दोनों
(D) (B) और (C) दोनों
श्वास लेने में सहायक अंग जैसे-नाक, गला, श्वास नली, फेंफडे एवं कान आदि अंगो के संक्रमण जिसमें श्वास लेने में भी कठिनाई हो सकती है, को तीव्र श्वसन रोग कहते है जुकाम गले में खराश, खांसी, श्वसन नली संक्रमण, निमोनिया एवं कान का संक्रमण, साइनोसाइटिस आदि तीव्र श्वसन रोगों की श्रेणी में आने वाली प्रमुख बीमारियॉं हैं।
टीबी रोग का संक्रमण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु के कारण होता है। टीबी मुख्य रूप से श्वसन तंत्र या फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है।
9. उच्च रक्तचाप की अवस्था को क्या कहते हैं?
(A) हाइपोटेंशन - लो ब्लड प्रेशर
(B) पक्षाघात
(C) हाइपरटेंशन - हाई ब्लड प्रेशर
(D) इनमें से कोई नहीं
(C) हाइपरटेंशन - हाई ब्लड प्रेशर
Blood pressure या रक्तचाप रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर डाले गए दबाव को कहते हैं। धमनी वह नलिका होती हैं जो रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ले जाती हैं। हृदय रक्त को धमनियों में पंप करता है। किसी भी व्यक्ति का रक्तचाप सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप के रूप में जाना जाता है। जैसे 120/80 सिस्टोलिक अर्थात ऊपर की संख्या धमनियों में दाब को दर्शाती है। इसमें हृदय की मांसपेशियां संकुचित होकर धमनियों में रक्त को पंप करती है।
डायस्टोलिक रक्तचाप अर्थात नीचे वाली संख्या धमनियों में उस दाब को दर्शाती है जब संकुचन के बाद हृदय की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं। रक्तचाप उस समय अधिक होता है जब हृदय रक्त को धमनियों में पंप करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का सिस्टोलिक रक्तचाप 90 और 120 मिलीमीटर के बीच होता है। सामान्य डायस्टोलिक रक्तचाप 60 से 80 मिमी के बीच होता है।
रक्तचाप संबंधी दो प्रकार की समस्याएं होती हैं - एक निम्न रक्तचाप और दूसरी उच्च रक्तचाप।
10. मछलियों में उत्सर्जी पदार्थ क्या है?
(A) ऐमीनो अम्ल
(B) यूरिक अम्ल
(C) यूरिया
(D) अमोनिया
(D) अमोनिया
अधिकांश अस्थिल मछलियाँ (Bony Fish), टैडपोल एवं जलीय कीट नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट पदार्थों का अमोनिया के रूप में उत्सर्जन करते हैं। उनकी इस प्रकृति को अमोनिया उत्सर्जीकरण कहते हैं। अमोनिया के अणु जल में शीघ्रता से घुल जाते हैं, इसलिए वे आसानी से झिल्ली अवरोधकों को पार कर लेते हैं।
कोमल शरीर वाले अकशेरुकी प्राणियों में अमोनिया शरीर की संपूर्ण सतह से निकलकर चारों ओर स्थित जल में घुल जाती है।मछलियों में अमोनिया का उत्सर्जन क्लोम (Gill) के द्वारा होता है। अमोनिया के उत्सर्जन में वृक्क की भूमिका बहुत कम होती है।
11. पोधें में आवश्यकता से अधिक जल किस प्रक्रिया द्वारा बाहर निकाले जाते हैं?
(A) अवशोषण
(B) वाष्पोत्सर्जन
(C) उत्सर्जन
(D) प्रकाश-संश्लेषण
(B) वाष्पोत्सर्जन
पौधों द्वारा अनावश्यक जल को वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है। पैड़ - पौधे मिट्टी से जिस जल का अवशोषण करते हैं, उसके केवल थोड़े से अंश का ही पादप के शरीर में उपयोग होता है। शेष अधिकांश जल पौधों द्वारा वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकाला जाता है। पौधों में होने वाली यह क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है।
12. निम्न में से किसे प्रकाशसंश्लेषी अंगक कहते हैं?
(A) पौधे की पत्तियों
(B) हरितलवक
(C) स्टोमाटा
(D) जड़
(A) पौधे की पत्तियों
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया शुरू से अंत तक क्लोरोप्लास्ट में ही होती है। क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल वर्णक पाये जाते हैं। ये अधिकांश पौधे की पत्तियों में पाये जाते हैं। इसलिए पत्तियों को प्रकाश संश्लेषी अंग कहते हैं।
13. पौधों में गैसों का आदान प्रदान किसके द्वारा होता है?
(A) जड़
(B) रंध्र
(C) टहनी
(D) तना
(B) रंध्र
पौधों में गैसों का आदान-प्रदान उनके पत्तियों में उपस्थित रंध्र (Stomata) के द्वारा होता है। उनमें कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2) एवं ऑक्सीजन (O2) का आदान-प्रदान विसरण क्रिया द्वारा होता है। जिसकी दिशा पौधों की आवश्यकता एवं पर्यावरणीय अवस्थाओं पर निर्भर करती है।
14. फेफड़ा का आकार कैसा होता है?
(A) गोलाकार
(B) बेलनाकार
(C) शंक्वाकार
(D) अंडाकार
(C) शंक्वाकार
फेफड़ा हमारे सरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग होता है इसके बिना जीवन संभव नही है। जीवित रहने के लिए सांस लेना बहुत हो जरूरी होता है और सांस लेने के लिए हमारे फेफड़ों का स्वस्थ होना बहुत ही जरूरी है लेकिन दोस्तों दूषित वातावरण के साथ साथ दूषित खाना भी हमारे फेफड़ों का दुश्मन बना हुआ है। जब भी हमारे फेफड़ों को किसी प्रकार का रोग हो जाता है, तो उसकी हमें भारी कीमत चुकानी पडती है। फेफड़े हमारी छाती में स्पंज की तरह शंकु के आकार की जोड़ी होती है। यह असंख्य वायुकोषों में बंटी हुई होती है। यह हमारी श्वास प्रणाली का बहुत ही अहम हिस्सा है। हमारे बाएं फेफड़े का आकार छोटा होता है, क्योंकि हमारा ह्रदय बाएं ओर होता है, बाएं फेफड़े में दो लोब्स होते हैं जबकि दाएं फेफड़े में तीन लोब्स होते हैं। हमारे फेफड़े पतले आवरण के साथ ढके हुए होते हैं, जिसे हम या प्लुरा कहते हैं जो हमारे फेफड़ों की सांस लेने और सांस छोड़ने में मदद करता है।
15. लवक कितने प्रकार के होते हैं?
(A) तीन प्रकार
(B) दो प्रकार
(C) पांच प्रकार
(D) चार प्रकार
(A) तीन प्रकार
लवक (Plastid) केवल पादप कोशिकाओं में स्थित होते हैं। लवक पादप कोशिकाओं के कोशिका द्रव में पाए जाने वाले गोल या अंडाकार रचना हैं । इनमें पादपों के लिए महत्त्वपूर्ण रसायनों का निर्माण होता है। लवक तीन प्रकार के अर्थात् हरितलवक (Chloroplast) , अवर्णी लवक ((Leucoplast) तथा वर्णी लवक (Chromoplasts) होते हैं।
हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) नामक हरे रंग के लवक में जीव जगत की सबसे महत्त्वपूर्ण जैव रासायनिक क्रिया प्रकाश-संश्लेषण होती है। हरे रंग को छोड़कर अन्य रंगों वाले लवकों को वर्णी लवक (क्रोमोप्लास्ट) कहते हैं, इनसे ही फूलों एवं फलों को रंग प्राप्त होता है। रंगहीन लवकों को अवर्णी लवक (लिउकोप्लास्ट) कहते हैं जिनका मुख्य कार्य भोजन संग्रह में मदद करना है। आकृति यह अंडाकार गोलाकार तन्तुनुमा होता है जो पूरे कोशिका द्रव्य मे फैले रहता है जो दो पर्टो से घिरा रहता है। इसके भीतर पाए जाने वाले खाली स्थान को stroma कहते है जो एक तरल पदार्थ से भरा रहता है जिसे matrix कहाँ जाता है।